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Saturday 16 December 2017

उसकी कोशिशों कि बजह ! ! ! ! ! ! ! ! ! !



उसकी कोशिशों कि बजह,

 मुझे समझ नहीं आती |

जानते हुए भी वो एक पल भी,

 मेरे जेहन से नहीं जाती |

वो घर से आकर कहेगी 

मै कोनसा तुम्हे छोड़कर जा रही थी 

मै जिंदगी हूँ तेरी  मै जानती हूँ 

मै तो बस बिना मेरे तुम्हे जीना सिखा रही थी