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Saturday 16 December 2017

उसकी कोशिशों कि बजह ! ! ! ! ! ! ! ! ! !



उसकी कोशिशों कि बजह,

 मुझे समझ नहीं आती |

जानते हुए भी वो एक पल भी,

 मेरे जेहन से नहीं जाती |

वो घर से आकर कहेगी 

मै कोनसा तुम्हे छोड़कर जा रही थी 

मै जिंदगी हूँ तेरी  मै जानती हूँ 

मै तो बस बिना मेरे तुम्हे जीना सिखा रही थी 

Friday 15 December 2017

अब सोचने लगा ! ! ! ! ! ! ! !



अब सोचने लगा हे ये दिल मेरा 

कैसे कटेगा तन्हा दिन मेरा 

साथ ही गुजरती थी उसके हर शाम मेरी 

शुरू होता था उससे ही दिन मेरा 

क्यों जा रहा दूर मुझसे हमदम  मेरा 

कैसे बहलेगा उसके बिना अब ये दिल मेरा 

अब सोचने लगा हे ये दिल मेरा 

कैसे कटेगा तन्हा दिन मेरा 

Thursday 14 December 2017

वो इस तरह मुलाकात ! ! ! ! ! ! !

वो  इस  तरह मुलाकात हमसे कर गए 

हमसे जुदा होकर  हमें  अपने साथ ले गए 

कुछ भी नजर नहीं आता अब इन आँखों  को 

वो हमारा दिल दिमाक हमारा खुमार ले गए 

जुदा जो हुए  वो दो दिन के लिए हमसे 

तो लगाने लगा वक्त रुक गया हो ना होने से उनके 

जेसे  कि  कुछ  भी न  बचा इस जिस्म में सिवाय सांसो के ,

वो बनके मेरा खुदा मेरे जिस्म की जान ले गए |

Wednesday 13 December 2017

ये चाहत हे उसकी या ! ! ! ! ! ! !


ये चाहत हे उसकी या  ! ! ! ! ! ! ! 

ये चाहत हे उसकी या दूर होने का कोई बहाना है, 

जिंदगी भर उसको हमें ऐसे ही चाहना हे 

न जाने क्यों कभी कभी मुझे लगता हे उसकी हरकतों से 

ये बेरुखी हे उसकी या बेदर्द जमाना है 

जब भी कभी में उससे बाटे करता हूँ तो लगता हे 

वो नाराज हे मुझसे या ये मुझपे हक़ जाताना हे 

जब वो जुड़ा होकर हमसे हमारे जीने का सबब पूछता है 

जबाब होता हे जुदाई मई बस तेरी यादो के काफिले का सहारा है 

ये चाहत हे उसकी या दूर होने का कोई बहाना है

Tuesday 12 December 2017

पास होकर भी जुदा ! ! ! ! ! ! ! !

! ! !  !  ! ! !

ये भी उसकी एक अदा सी लगती हैं,

पास रहकर भी जुदा सी लगती हैं | 

आँख उठती नहीं हे महफ़िल मैं हमारी अब 

अब दिले जज्बात कह ही देंगे हम 

क्या हे दिल में उनके फ़साने क्या 

कही न कही कुछ चाहत सी लगाती हे 

पास रहकर भी जुदा सी लगती हैं |

हम अपने ही प्यार को वेवफा क्या कहे 

दर्द के रिश्ते का फलसफा क्या कहे 

यादों में उनकी साथ भी तो देता हे 

वो संगदिल कहे इसे या बेवफा कहें 

वो जो चाहे कहे हमें तो इश्क हे क्या कहें 

ये भी उसकी एक अदा सी लगती हैं,

पास रहकर भी जुदा सी लगती हैं |

Wednesday 6 December 2017

The moment that has not gone.

पल जो गुजरे नहीं ! ! ! ! ! ! . . . . .
Day In Diary

अक्सर जिंदगी के कुछ पल हमारी जिंदगी में एक यादो के निशान बनकर के एक ऐसा पड़ाव बना देते हे, जो कभी भी जिन्दगी के सफर में गुजर नहीं पता हे और जिंदगी अपनी रफ़्तार से चलती जाती हे | कभी कभी वो एक पल जिंदगी की सबसे खाश याद हमेशा के लिए कभी न गुजरने वाली शाम  की  तरह हर शाम  हमारी जिन्दगी में आता रहता हे और फिर भी हर शाम यही लगता हे कि शायद ये फिर से पहली बार हो रहा हे | ख्वाबो की ये दुनिया जो हमेशा ही कुछ न होते हुए भी बहुत ही हकीकत का अहसास देती रहती हे |  


Wednesday 27 September 2017

एक अरसे बाद ! ! ! ! ! ! !

एक अरसे बाद ! ! ! ! ! ! ! . . . . .


***!!!***

एक अरसे बाद उसी मोड़ पर मिली वो मुझे,

जहाँ से हसीन शुरुआत थी और तभी से

हर लम्हा हर पल वो मेरे साथ थी |

कहने लगी कितने अजीव हो तुम,

आज भी उतने ही आधे अधूरे हो तुम |

कहने लगी यु ही अफसाना कोई,

कोई कहानी आसानी से पूरी नहीं होती,

ये रस्मे रिवाज मजबूरियां और दूरियां ही तो हे,

नही तो ख्वाइसे और मैं भी यूँ अधूरी न होती |

मेने कहा दीवानों सा हाल,

मेरा तुम से ही तो आया हे,

तुम में ही तो मेने खुद को पाया हे

अभी तक तो खुश था बेमतलब सी जिंदगी में,

तुम्ही ने तो जिंदगी में रंग भरना सिखाया हें |

काश तुम समझती और जानती तो

मेरे लिये एकादशी का चाँद भी पूरा होता,

तुम एक बार हाँ कहती तो जान जाती,


कि ये अधूरा भी कितना पूरा होता |

***!!!***

Monday 25 September 2017

अनजानी सी मुलाकात ! ! ! ! ! !

अनजानी सी मुलाकात ! ! ! ! ! ! !...................



***!!!***

सोचा न था वो अनजानी सी पहली मुलाकात यूँ यादगार होगी,

खुशियों से भरे एक दौर के बाद आंसुओ की बरसात होगी |

सोचा था खो दूंगा खुद को पर प् ही लूँगा में उसे,

दिन ढले किसी शाम अपना बना लूँगा मैं उसे |

उसकी बेबसी पर यूँ एतवार न हुआ

वो कहती रही में सुनता रहा,

आँखों में आंसू लिये कि


कि उसे मुझसे कभी प्यार न हुआ |

***!!!***

Saturday 16 September 2017

वो तुम ही थी न ! ! ! ! ! !

वो तुम ही थी न ! ! ! ! ! ! ! .............


***!!!***

प्यार का सावन लिये मिली मुझे

वो तुम ही थी न ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

खुशियों को नए मायनें 

रिश्तों की नई समझ देने वाली

वो तुम ही थी न ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

कहती सुन सकती हूँ में 

मेरे लिये धड़कती धड़कनें तुम्हारी

मेरे हर एक पल को खुद से महकाने वाली

वो तुम ही थी न ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

मेरे यूँ ही मुश्कराने में 

मेरे यूँ ही बहक जाने में

तुम्हें देखने भर की जिद में

वो तुम ही थी न ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

कहती लाख बुरे तुम सही

पर मेरे ही तो हो तुम

और फिर आधे रास्ते 

मुझे यूं छोड़ जाने में


वो तुम ही थी न ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

***!!!***

Thursday 7 September 2017

धुधली सी यादों में ! ! ! ! ! !

धुधली सी यादों में ! ! ! ! ! ! !...........



***!!!***

सालों बाद आज उन्ही धुधली सी

यादों में फिर से खोया में |

दर्द उतना ही गहरा हे जाना जब मेनें,

फिर से एक अर्शे बाद जब खुल के रोया मैं |

हक़ क्या था तुम्हें यूँ मुझें छोड़ जाने का

क्यूँ जिन्दगीं में रंग भरे

क्यूँ मेरे संग सपने बुनें

कुछ खूबसूरत लम्हें और फिर

उम्रभर के लिये तन्हां कर दिया

पागल कोई बहाना भी तो देती

मुझे मुझमे वापस लौट आने  |

Monday 4 September 2017

एक तन्हा शाम ! ! ! ! ! !


एक तन्हा शाम ! ! ! ! ! ! ...........



***!!!***

आज फिर एक तन्हा शाम में,

में एतवार खो बैठा हूँ,

दम भर पी आज मेने,

हो न हो होश खो बैठा हूँ

सोचा तो था जी लूँगा बिन तेरे,

पर मंजिल अकेले तय न हुयी सो !

कुछ यादें पुरानी खोल बैठा हूँ,

तुम्ही ने तो कहा था न कि,

यूँ तबियत से ऑंखें बंद करोगे

तो मुझे अपने पास ही पाओगे,

मैं तो तेरे इंतज़ार मै हर !


हर ! सुबह को शाम कियें बैठा हूँ |

***!!!***


Saturday 2 September 2017

काश तुम समझ पाती ! ! ! ! ! ! !

काश तुम समझ पाती ! ! ! ! ! ! !



***!!!***

काश तुम समझ पाती कि ..........

किस हद तक हो मेरे खयालों में.

मेरे जीवन के तरानों में ,

कितनी शिद्दत से रमी हो तुम ,

मेरे जीवन के मायनों मैं |

काश तुम समझ पाती कि ..........

तो फलसफा जिंदगी का मेरा

यूं अधूरा नहीं होता,

क्या करू ! वहम कहती हो 

तुम जिसे जीने का मेरे,


मुझसे वो एक तरफा प्यार

 तुम्हारा दूर ही नहीं होता |

***!!!***


Friday 1 September 2017

प्यार तो होगा ! ! ! ! ! !

उसे भी मुझसे प्यार तो होगा ! ! ! ! ! !......

pyar to hoga

***!!!***

उसे भी मुझसे प्यार तो होगा

मोहब्बत में शिद्दत का कुछ मोल तो होगा

मेरी ख्वाइसौ का कोई छोर तो होगा

ये फांसले और ये दूरियां हमेशा के लिये तो नहीं

शायद इनमे भी मेरा कोई इम्तहान ही होगा

याकीन से जानता हूँ इतना तो मैं उसे

उसे भी मुझसे प्यार तो होगा |


***!!!***


तेरे खयालों में ! ! ! ! !

तभी तो तेरे खयालों में ! ! ! ! ! 



***!!!***

प्रकृति के साथ ये महकती सुबह,

और तुमसे मिलती उसकी ये समरसता |

याद दिलाती साथ के उन लम्हों की,  चाहता हूँ

फिर तय करू मै उमर भर तेरे संग कोई रास्ता  |

साथ ये तेरा मेरा कभी ऐसे छूटेगा,

खुशियों भरे पलों का ये दौर यूँ इतनी आसानी से टूटेगा |

याद हे तुम्हें वो विध्या का मन्दिर,

जहाँ ये मोहब्बत गहराई थी |

प्यार का सावन लिये तुम यूँ

मेरी जिंदगी में आयी थी |

खैर आज फिर मेने तेरे साथ के लिये दुआ मांगी हें,

जानता हूँ खपा हें मेरा खुदा मुझसे ,

तभी तो तेरे खयालों में मैंने तुझसे पनाह माँगी हैं |

***!!!***