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Friday 1 September 2017

तेरे खयालों में ! ! ! ! !

तभी तो तेरे खयालों में ! ! ! ! ! 



***!!!***

प्रकृति के साथ ये महकती सुबह,

और तुमसे मिलती उसकी ये समरसता |

याद दिलाती साथ के उन लम्हों की,  चाहता हूँ

फिर तय करू मै उमर भर तेरे संग कोई रास्ता  |

साथ ये तेरा मेरा कभी ऐसे छूटेगा,

खुशियों भरे पलों का ये दौर यूँ इतनी आसानी से टूटेगा |

याद हे तुम्हें वो विध्या का मन्दिर,

जहाँ ये मोहब्बत गहराई थी |

प्यार का सावन लिये तुम यूँ

मेरी जिंदगी में आयी थी |

खैर आज फिर मेने तेरे साथ के लिये दुआ मांगी हें,

जानता हूँ खपा हें मेरा खुदा मुझसे ,

तभी तो तेरे खयालों में मैंने तुझसे पनाह माँगी हैं |

***!!!***

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