प्रकृति के साथ ये महकती सुबह,
और तुमसे मिलती उसकी ये समरसता |
याद दिलाती साथ के उन लम्हों की, चाहता हूँ
फिर तय करू मै उमर भर तेरे संग कोई रास्ता |
साथ ये तेरा मेरा कभी ऐसे छूटेगा,
खुशियों भरे पलों का ये दौर यूँ इतनी आसानी से टूटेगा |
याद हे तुम्हें वो विध्या का मन्दिर,
जहाँ ये मोहब्बत गहराई थी |
प्यार का सावन लिये तुम यूँ
मेरी जिंदगी में आयी थी |
खैर आज फिर मेने तेरे साथ के लिये दुआ मांगी हें,
जानता हूँ खपा हें मेरा खुदा मुझसे ,
तभी तो तेरे खयालों में मैंने तुझसे पनाह माँगी हैं |
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