धुधली सी यादों में ! ! ! ! ! ! !...........
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सालों बाद आज उन्ही धुधली सी
यादों में फिर से खोया में |
दर्द उतना ही गहरा हे जाना जब मेनें,
फिर से एक अर्शे बाद जब खुल के रोया मैं |
हक़ क्या था तुम्हें यूँ मुझें छोड़ जाने का
क्यूँ जिन्दगीं में रंग भरे
क्यूँ मेरे संग सपने बुनें
कुछ खूबसूरत लम्हें और फिर
उम्रभर के लिये तन्हां कर दिया
पागल कोई बहाना भी तो देती
मुझे मुझमे वापस लौट आने |
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